यह मन पढ़ाई पर क्यों नहीं लगता है?
यह मन पढ़ाई पर क्यों नहीं लगता है?
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ये तो सच है कि कई बार हमारा मन/दिमाग/हृदय पढ़ाई पर लगता/नहीं लगता/फोकस नहीं करता. कुछ लोग तो कहते हैं की पढ़ाई करना बोरिंग/ज़िन्दगी से बाहर का/बहुत कठिन हो जाता है।
और कुछ कहते हैं कि सिर्फ़ पढ़ाई ही सही उत्तर नहीं है.
जीवन में बहुत सारे अनुभव/विकल्प/रास्ते होते हैं जो हमें सीखते/समझते/उजागर करते हैं।
पढाईचा जाळ कसे तोडणे?
यहाँ सच कहाँ है की पढ़ाई एक जाल जैसा बन सकती है जो हमारे मन और दिमाग को फँसाकर रख देता है। परिस्थितियाँ इतना तनावपूर्ण हो जाता है कि हम खुद अपनी पढ़ाई को भूल जाते हैं। लेकिन चिंता मत करो, इस जाल से निकलने के लिए विधियाँ मौजूद हैं। सबसे पहले तो, हमें अभ्यास की जगह पर पढ़ाई को मजेदार बनाना होगा। जागरूकता रखना भी ज़रूरी है कि हम क्या सीख रहे हैं और यह हमारे लिए किस तरह से सहायक हो सकता है।
- शारीरिक गतिविधि करना भी ज़रूरी है जो हमें तनाव मुक्त और खुश रखता है।
- स्वस्थ जीवनशैली भी हमारे दिमाग को तरोताजा करती है।
- आत्मविश्वास बढ़ाना
हार्दिक शुभकामनाएँ कि पढ़ाई एक जाल नहीं, बल्कि एक यात्रा है जिसमे हमें खुद को खोजने का मौका मिलता है।
अपनी बुद्धि को हासिल करें, पढ़ाई में मन कैसे लगाएं?
पढ़ाई एक महत्वपूर्ण मूल है जो हमें ज्ञान और कौशल से लैस बनाता है। लेकिन कई बार पढ़ाई में रुचि आना चुनौतीपूर्ण होता है।
यह समझना महत्वपूर्ण है कि पढ़ाई सिर्फ पाठ्यपुस्तकों तक सीमित नहीं है| हमारे मस्तिष्क को चुनौतीपूर्ण काम करने दें।
यहाँ कुछ उपाय हैं जो आपको पढ़ाई में मन लगाने में मदद कर सकते हैं:
* सफलता की दृष्टि बनाएँ।
* अपनी पढ़ाई को रोमांचक बनाएं|
* एक शांत और संगठित स्थान पर पढ़ाई करें
अनिर्धारित मन: पढ़ाई में स्थान कब?
पढ़ाई में सफलता पाने के लिए ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है, लेकिन आजकल हमारी दुनिया हमेशा ही हमारे मन को भटकाती रहती है। सोशल मीडिया, खेल, और अन्य आकर्षण हमें पढ़ाई से दूर ले जाते हैं।
अभी सवाल उठता है कि हम अपने सागर में नाव की तरह स्वतंत्र होना कैसे रखें और पढ़ाई पर ध्यान देना
अध्ययन की धाराएँ: क्यों बहती ही नहीं मन में?
मन एक गहरा जलप्रपात है। इसमें अनगिनत रत्न छिपे हैं। लेकिन, जब हम ज्ञान की नदियों को प्रवाहित करना चाहें तो ये मन में क्यों बंदी रहती हैं? क्या यह हमारे श्रम का अभाव है, या इन नदियों get more info को खुद ही खोलना होगा?
शायद हमें अपनी मनोविज्ञान की तलाश को समझने की जरूरत है। मन में प्रेरणा का होना ही इन नदियों को जलने देगा।
मनोरंजन और शिक्षा की जुगलबंदी: मुमकिन है क्या?
क्या मस्ती और पढ़ाई कभी साथ में चल सकते हैं? यह प्रश्न हमेशा से ही छात्रों के मन में रहता है। बहुत से लोग सोचते हैं कि मस्ती पढ़ाई का बड़ा विरोधी है, जबकि अन्य महसूस करते हैं कि दोनों साथ-साथ चल सकते हैं।
अध्ययन में सफलता के लिए, हमें मस्ती का काफी महत्व देना चाहिए। मज़ेदार गतिविधियाँ तनाव कम करती हैं और दिमाग को नई ऊर्जा में मदद करती हैं, जिससे पढ़ाई पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
यदि हम देखें तो, कला, खेल और संगीत जैसी गतिविधियाँ न केवल मजेदार होती हैं बल्कि समस्या समाधान क्षमता को भी बढ़ावा देती हैं - गुण जो पढ़ाई में अत्यंत आवश्यक हैं।
- हम यह कह सकते हैं कि
- दोनों एक दूसरे के पूरक हो सकते हैं।